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Bharat Bhushan pathak

#घनाक्षरी#देव_घनाक्षरी#कविता#छंद देव घनाक्षरी विधान-१६-१७ वर्णों पर यति तथा पद के अंत में तीन लघु आना अनिवार्य मापनी-८,८,८,७ जगदम्बे जय तेरी लो हर विपदा मेरी, बालक अबोध माँ,स्वीकार ले मेरा नमन। राह कोई नहीं दिखे आऊँगा बाहर कैसे, हर ओर अँधेरा है ,प्रकाश माँ करो गहन।

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देव घनाक्षरी विधान-१६-१७ वर्णों पर यति तथा पद के अंत में तीन लघु आना अनिवार्य
मापनी-८,८,८,९
 जगदम्बे जय तेरी  लो हर विपदा मेरी,
  बालक अबोध माँ,स्वीकार ले मेरा नमन।

  राह कोई नहीं दिखे  आऊँगा बाहर कैसे,
  हर ओर अँधेरा है ,प्रकाश माँ करो गहन।

  रोग-दोष घेर रहे   मन ये अशान्त हुआ,
  अरि दल चहुँओर, आज माता करो दमन।

  हार-जीत देते सीख   तैयार भी लेने शिक्षा,
  आत्मबल बना हुआ,  करो भय बस  शमन।।

 
भारत भूषण पाठक'देवांश'🙏

©Bharat Bhushan pathak #घनाक्षरी#देव_घनाक्षरी#कविता#छंद
देव घनाक्षरी विधान-१६-१७ वर्णों पर यति तथा पद के अंत में तीन लघु आना अनिवार्य
मापनी-८,८,८,७
 जगदम्बे जय तेरी  लो हर विपदा मेरी,
  बालक अबोध माँ,स्वीकार ले मेरा नमन।

  राह कोई नहीं दिखे  आऊँगा बाहर कैसे,
  हर ओर अँधेरा है ,प्रकाश माँ करो गहन।

दिनेश कुशभुवनपुरी

#घनाक्षरी #मदिरा_सवैया #जय_सियाराम #जय_जय_हनुमान गुरु देव Rank Nameless Anshu writer Anupriya सुरमई साहित्य gungun gusain एक अजनबी SURAJ PAL SINGH मनोज मानव kanta kumawat RD bishnoi Suhana parvin. please Humko support aur gift Kijiye - repost kijiye-Boss Anjali Srivastav RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित' Priya Rajpurohit सूर्यप्रताप सिंह चौहान (स्वतंत्र) -"Richa_Shahu" .Indian Sing Language Dheeraj Srivastava Karan सुनील 'विचित्र' Choudhary Nk kumar

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Author Munesh sharma 'Nirjhara'

अब बहुत हो चुका क्षमा भाव अब नहीं शत्रु पर दया नहीं अब 'तू' शेष नहीं..! सहन बहुत किया नासमझ मान तुझे अनदेखा यूँ ही किया अब 'तू' शेष नहीं..! राह अपनी मोड़ ले क़दम पीछे खींच ले माफ़ी अब भी माँग ले अब 'तू' शेष नहीं...!

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"चीन तू अब नहीं...."





मन की ओजमय अभिव्यक्ति आप सभी के समक्ष
घनाक्षरी(कवित्त) छंद में अभिव्यक्त है!
इसमें प्रत्येक छंद में चार पंक्तियाँ होती हैं!
पहली पंक्ति में 8 वर्ण
दूसरी पंक्ति में 8 वर्ण
तीसरी पंक्ति में 8 वर्ण
चौथी पंक्ति मे 7 वर्ण होते है!
8+8+8+7=31  (कुल 31 वर्ण होते हैं!संयुक्त वर्ण को अलग से नहीं गिना जाता!)
प्रत्येक छंद लय के साथ जुड़ा होता है!
प्रत्येक पंक्ति के अंत में दीर्घ वर्ण होता है!
वीर और ओज भावों की अभिव्यक्ति के लिए यह छंद सर्वथा उपयुक्त है!
🌹 अब बहुत हो चुका क्षमा भाव अब नहीं
शत्रु पर दया नहीं अब 'तू' शेष नहीं..!

सहन बहुत किया नासमझ मान तुझे
अनदेखा यूँ ही किया अब 'तू' शेष नहीं..!

राह अपनी मोड़ ले क़दम पीछे खींच ले
माफ़ी अब भी माँग ले अब 'तू' शेष नहीं...!

vinay vishwasi

जल में भी हो रहा जो,थल में भी हो रहा जो,
उस   प्रदूषण   से   ही,  सबको   बचाना  है।

करें  ज्यादा  शोर  नहीं, दूसरों  से  होड़ नहीं,
सबसे  ही  हमें  इसी, बात   को  बताना  है।

कूड़ा कूड़ेदान में ही, उसे  सही  स्थान में ही,
डालने को सबको ही, काम ये  सिखाना है।

आज से ही  ले लें प्रण, करें नहीं  व्यर्थ क्षण,
हमें  प्रदूषण   को  तो, जड़  से  मिटाना  है। #घनाक्षरी #प्रदूषण #विश्वासी

vinay vishwasi

देश भी आजाद हुआ,नया शंखनाद हुआ,
फिर भी  गरीबी  रही,नेता  आते-जाते हैं।

वे  दिन भर  ढूँढते, हैं  गली-गली  घूमते,
ढंग का कहीं भी कोई,काम नहीं पाते हैं।

धनी का ही धन बढ़े,उनका ही मन बढ़े,
हैं  गरीब  डरे  हुए, और  भी  डराते  हैं।

करके  प्रहार  अब, देना है  सुधार अब,
गरीबी अभिशाप को ,आइए मिटाते हैं। #घनाक्षरी #गरीबीएकअभिशाप #विश्वासी

दीपक झा रुद्रा

Uma Vaishnav

प्रभाती घनाक्षरी
दिनकर दादा आये, सुबह सुहानी लाये, 
सूर्य किरण पा  कर ,जग जग  जाएगा। 

मंद  मंद  वायु  चले , शरद  हवाएँ  चले, 
आग  जला कर ज़न,  गर्माहट   पाएगा। 

डाल डाल खग बोले,नयन सभी ने खोले, 
 दिनकर  दादा  अब , लालिमा फैलाएगा।

सुंदर  सुबह आई , नई  ऊर्जा  संग  लाई, 
नव  सृजन  का  मनु ,  दीपक  जलाएगा।

©Uma Vaishnav #प्रभाती 
#घनाक्षरी 

#hills

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