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गीतिका: गजल हो गये! नेत्र  मिलकर  हमारे सजल हो गय

गीतिका: गजल हो गये!

नेत्र  मिलकर  हमारे सजल हो गये।
प्रेम के गीत हम, तुम गजल हो गये॥

चाँदनी  रात  में   भी  अँधेरा  मिला।
बिन तुम्हारे अमियरस गरल हो गये॥

मन लहर की तरह उठ रहा गिर रहा।
देखकर  भाव ये हम  विकल हो गये॥

हाथ  में   हाथ   तुमने  हमारा   लिया।
दो मुदित मन मिले खिल कमल हो गये॥

थी हमेशा हमारी जटिल जिंदगी।
पास आकर तुम्हारे सरल हो गये॥

साथ जबसे  मिला, मिल गयी जिंदगी।
तब लगा आज हम भी सबल हो गये॥

एक  विश्वास था तुम  मिलोगे  कहीं।
इसलिए देख लो हम सफल हो गये॥

साथ मेरे चले तुम कदम दर कदम।
नेक   मेरे   इरादे  अटल   हो   गये॥

अनमने हो रहे थे तुम्हारे बिना।
तुम पधारे यहाँ हम नवल हो गये॥

बूँद बनकर पड़े तप रही भूमि पर।
लहलहाते हुए हम फसल हो गये॥

दूर   मन   से   प्रिये   हर   बुराई   हुई।
अंग उर मन सकल ही विमल हो गये॥

©दिनेश कुशभुवनपुरी
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