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शायद नसीब ना था करीब से देखने का जिस चांद को, आज उ

शायद नसीब ना था करीब से देखने का जिस चांद को, आज उसके दिद्दार हुए।
 आज उसके नैनों से छूटे हर बाण इस दिल के आरपार हुए।। # उनके दिद्दार
शायद नसीब ना था करीब से देखने का जिस चांद को, आज उसके दिद्दार हुए।
 आज उसके नैनों से छूटे हर बाण इस दिल के आरपार हुए।। # उनके दिद्दार