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"तुम बस खुश रहना"  सौ तरह की बातों को सह लेना,  आ

"तुम बस खुश रहना" 

सौ तरह की बातों को सह लेना, 
आँख उठाकर, आवाज़ चढाकर कुछ न कहना,
हवस का पुजारी जो हाथ थाम ले तो रो लेना, 
तमाचा जड़ने की सोच को वहीं दफन कर देना|

अत्याचार हुआ तुमपर तो क्या हुआ!,
हर रोज़ कहीं न कहीं तो होता ही है ये गुनाह, 
सब से छुपाकर, दिल में दबाकर रख लेना, 
सुनी सी रातों में जख्मों पर मरहम कर लेना|

तू न्याय की चाह में जो मूह खोल जाएगी, 
खुद पर ही तु देखना लांछन पाएगी, 
तेरे कपड़ों पर, तेरी चाल-ढाल पर बातें बनाई जाएगी, 
तेरे अपनो के बीच भी तु खुद को अकेला पाएगी|

तो सुनो, चुपचाप सह लेना, 
जो तुझे कोई छेड़े तो रास्ता बदल लेना, 
मुट्ठी बाँध अपने गुस्से को पी लेना,
किसी से कुछ न कहना|

अपनी आज़ादी से वरना हाथ पड़ेगा धोना,
घर में बैठे ही फिर पढ़ते रहना, 
बाहर की दुनिया को पड़ेगा अलविदा कहना, 
नहीं चाहती न तु ये सब सहना|

तो "जहाँ रहो खुश रहो या वहाँ रहो जहाँ खुश रहो",
मगर मान के मेरी बात, "चुप रहो", 
और जैसे भी हो हालात जाने देना, 
चुपचाप रहकर, सहकर, "तुम बस खुश रहना"|...  This poem is about the life of girls to whom we as a society always say "खुश रहना" but we certainly take a lot of freedom from them in the name of safety and other things.... बाकी आप पढ़के अपनी राय जरूर बताना.. Coz this is something different I have written.. Your comments are welcomed, and do let me know that  have you understood the irony in the poem..

#खुशरहना #yqdidi #maymoods #ufvoices #vineetvicky #हिंदीकविता #जहाँरहोखुशरहो #satisfaction
"तुम बस खुश रहना" 

सौ तरह की बातों को सह लेना, 
आँख उठाकर, आवाज़ चढाकर कुछ न कहना,
हवस का पुजारी जो हाथ थाम ले तो रो लेना, 
तमाचा जड़ने की सोच को वहीं दफन कर देना|

अत्याचार हुआ तुमपर तो क्या हुआ!,
हर रोज़ कहीं न कहीं तो होता ही है ये गुनाह, 
सब से छुपाकर, दिल में दबाकर रख लेना, 
सुनी सी रातों में जख्मों पर मरहम कर लेना|

तू न्याय की चाह में जो मूह खोल जाएगी, 
खुद पर ही तु देखना लांछन पाएगी, 
तेरे कपड़ों पर, तेरी चाल-ढाल पर बातें बनाई जाएगी, 
तेरे अपनो के बीच भी तु खुद को अकेला पाएगी|

तो सुनो, चुपचाप सह लेना, 
जो तुझे कोई छेड़े तो रास्ता बदल लेना, 
मुट्ठी बाँध अपने गुस्से को पी लेना,
किसी से कुछ न कहना|

अपनी आज़ादी से वरना हाथ पड़ेगा धोना,
घर में बैठे ही फिर पढ़ते रहना, 
बाहर की दुनिया को पड़ेगा अलविदा कहना, 
नहीं चाहती न तु ये सब सहना|

तो "जहाँ रहो खुश रहो या वहाँ रहो जहाँ खुश रहो",
मगर मान के मेरी बात, "चुप रहो", 
और जैसे भी हो हालात जाने देना, 
चुपचाप रहकर, सहकर, "तुम बस खुश रहना"|...  This poem is about the life of girls to whom we as a society always say "खुश रहना" but we certainly take a lot of freedom from them in the name of safety and other things.... बाकी आप पढ़के अपनी राय जरूर बताना.. Coz this is something different I have written.. Your comments are welcomed, and do let me know that  have you understood the irony in the poem..

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This poem is about the life of girls to whom we as a society always say "खुश रहना" but we certainly take a lot of freedom from them in the name of safety and other things.... बाकी आप पढ़के अपनी राय जरूर बताना.. Coz this is something different I have written.. Your comments are welcomed, and do let me know that have you understood the irony in the poem.. #खुशरहना #yqdidi #maymoods #ufvoices #vineetvicky #हिंदीकविता #जहाँरहोखुशरहो #Satisfaction