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बारहखड़ी की कविता अ से अनार आ से आम जग में तुम कर

बारहखड़ी की कविता

अ से अनार आ से आम
जग में तुम करो नाम। 

इ से इमली ई से ईख
बड़ों से मिलती है सीख। 

उ से उल्लू ऊ से ऊन
बच्चों तुम नहीं बनो दून। 

ऋ से तो होता है ऋषि
भारत के लोग करते कृषि। 

ए से एड़ी ऐ से ऐनक
दादाजी से घर में रौनक। 

ओ से ओखली औ से औरत
छोटे बड़ों से करो मोहब्बत। 

अं से अंगूर अः से खाली
बच्चों नहीं करो काम जाली। 
मो- ज़मील
अंधराठाढ़ी, मधुबनी (बिहार) 
मौलिक, स्वरचित अप्रकाशित कविता। 
मो- 9065328412
पिन कोड- 847401

©Jamil Khan बच्चों के लिए उपयोगी कविता। 

#OneSeason
बारहखड़ी की कविता

अ से अनार आ से आम
जग में तुम करो नाम। 

इ से इमली ई से ईख
बड़ों से मिलती है सीख। 

उ से उल्लू ऊ से ऊन
बच्चों तुम नहीं बनो दून। 

ऋ से तो होता है ऋषि
भारत के लोग करते कृषि। 

ए से एड़ी ऐ से ऐनक
दादाजी से घर में रौनक। 

ओ से ओखली औ से औरत
छोटे बड़ों से करो मोहब्बत। 

अं से अंगूर अः से खाली
बच्चों नहीं करो काम जाली। 
मो- ज़मील
अंधराठाढ़ी, मधुबनी (बिहार) 
मौलिक, स्वरचित अप्रकाशित कविता। 
मो- 9065328412
पिन कोड- 847401

©Jamil Khan बच्चों के लिए उपयोगी कविता। 

#OneSeason
mdjamil9174

Jamil Khan

New Creator

बच्चों के लिए उपयोगी कविता। #OneSeason