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सुनो, पूछो अपनी याद से हम भी कभी आजाद थे खुले आसमा

सुनो, पूछो अपनी याद से
हम भी कभी आजाद थे
खुले आसमाँ में निकले
लेकर कुछ अरमान से
सपनों की दुनिया में
हम भी कभी आबाद थे
कुछ सपने मैंने
कुछ सपने तूने जोड़े थे
एक अनजाने की खातिर 
सपने तूने तोड़े थे
तेरी यादों में
इन आँखों ने आँसू छोड़े थे
तेरी यादों ने अब भी
मेरे दिल को कैद किया है
मैं तो भुलक्कड हो गया हूँ
दिल ने तेरा नाम लिया है
कैसे कहे हम भी कभी आबाद थे।

©Santosh Narwar Aligarh
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