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कहां हो तुम कोई खबर नहीं आ रही तुम्हारी तुझे कोई अ

कहां हो तुम कोई खबर नहीं आ रही तुम्हारी
तुझे कोई अनसुलझी पहेली बन कर रह गई हो हमारी।

तकलीफ हो रही है तुम्हें दूर देख कर हमें,
जैसे कोई बिछड़ा हो सावन में कोई करीबी अपना।

पल पल तेरी यादों का कटोरा में साथ लिए फिरता हूं,
तुम चाहती हो मैं दूर रहूं फिर भी साथ लिए फिरता हूं।

काश कोई ऐसा मंजर आए हम तुम आमने सामने आए,
वक्त हो बरसात का और मेरी आंखों से आंसू निकल आए ।

झुकी हो तेरी निगाहें भी किसी खास वजह से,
तुम बोल ना पाओ कुछ भी मैं तुम्हें लगाऊं गले से। कहां हो तुम कोई खबर नहीं आ रही तुम्हारी
तुझे कोई अनसुलझी पहेली बन कर रह गई हो हमारी।

तकलीफ हो रही है तुम्हें दूर देख कर हमें,
जैसे कोई बिछड़ा हो सावन में कोई करीबी अपना।

पल पल तेरी यादों का कटोरा में साथ लिए फिरता हूं,
तुम चाहती हो मैं दूर रहूं फिर भी साथ लिए फिरता हूं।
कहां हो तुम कोई खबर नहीं आ रही तुम्हारी
तुझे कोई अनसुलझी पहेली बन कर रह गई हो हमारी।

तकलीफ हो रही है तुम्हें दूर देख कर हमें,
जैसे कोई बिछड़ा हो सावन में कोई करीबी अपना।

पल पल तेरी यादों का कटोरा में साथ लिए फिरता हूं,
तुम चाहती हो मैं दूर रहूं फिर भी साथ लिए फिरता हूं।

काश कोई ऐसा मंजर आए हम तुम आमने सामने आए,
वक्त हो बरसात का और मेरी आंखों से आंसू निकल आए ।

झुकी हो तेरी निगाहें भी किसी खास वजह से,
तुम बोल ना पाओ कुछ भी मैं तुम्हें लगाऊं गले से। कहां हो तुम कोई खबर नहीं आ रही तुम्हारी
तुझे कोई अनसुलझी पहेली बन कर रह गई हो हमारी।

तकलीफ हो रही है तुम्हें दूर देख कर हमें,
जैसे कोई बिछड़ा हो सावन में कोई करीबी अपना।

पल पल तेरी यादों का कटोरा में साथ लिए फिरता हूं,
तुम चाहती हो मैं दूर रहूं फिर भी साथ लिए फिरता हूं।

कहां हो तुम कोई खबर नहीं आ रही तुम्हारी तुझे कोई अनसुलझी पहेली बन कर रह गई हो हमारी। तकलीफ हो रही है तुम्हें दूर देख कर हमें, जैसे कोई बिछड़ा हो सावन में कोई करीबी अपना। पल पल तेरी यादों का कटोरा में साथ लिए फिरता हूं, तुम चाहती हो मैं दूर रहूं फिर भी साथ लिए फिरता हूं।