कहां हो तुम कोई खबर नहीं आ रही तुम्हारी
तुझे कोई अनसुलझी पहेली बन कर रह गई हो हमारी।
तकलीफ हो रही है तुम्हें दूर देख कर हमें,
जैसे कोई बिछड़ा हो सावन में कोई करीबी अपना।
पल पल तेरी यादों का कटोरा में साथ लिए फिरता हूं,
तुम चाहती हो मैं दूर रहूं फिर भी साथ लिए फिरता हूं।