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तू ही सुर, तू ही साज है, तू ही तख़्त, तू ही ताज है,

तू ही सुर, तू ही साज है,
तू ही तख़्त, तू ही ताज है,
तू ही अंत्य, तू ही आगाज़ है,
तू ही ज़ुबाँ, तू ही आवाज़ है।

©HINDI SAHITYA SAGAR
  #Gulaab 
तू ही सुर, तू ही साज है,
तू ही तख़्त, तू ही ताज है,
तू ही अंत्य, तू ही आगाज़ है,
तू ही ज़ुबाँ, तू ही आवाज़ है।

#Gulaab तू ही सुर, तू ही साज है, तू ही तख़्त, तू ही ताज है, तू ही अंत्य, तू ही आगाज़ है, तू ही ज़ुबाँ, तू ही आवाज़ है। #कविता

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