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एक शहर मेरा और एक शहर तेरा ख्वाबों की रोशनी पर पा

एक शहर मेरा और एक शहर तेरा 
ख्वाबों की रोशनी पर पाबंद गहरा 
जलते हैं चूल्हे उनके खुद को जलाके 
कहते हैं संसद में योजना है गहरा 

दो जून रोटी वो मेहनत से लाया 
बड़े बाबू ने अपना हिस्सा बताया 
बोला मुनाफे मे फिर भी रहेगा 
आज छूटा तो कल दुगनी भरेगा 

कहते थे घर मे घी के दिए जलेंगे 
हर हाथ शिक्षा और मेवे मिलेंगे 
कहा है वो वादे जो तुमने दिखाए 
लगा आग बस्ती मे दुमहले तनवाये

मेरा भी घरौन्धा उसी बस्ती मे था
कही जल गया मानो कुछ भी नही था
कहते थे बस्ती मे शहर होगा तेरा 
लगा उसमे आग, खोया शहर मेरा... 

एक शहर तेरा और एक शहर मेरा 
रही ना अब आश और छाया अन्धेरा

©Sanu Pandey
  Shaharikaran kis kimat par...?
chandanpandey5579

Sanu Pandey

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Shaharikaran kis kimat par...? #Poetry

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