प्रण की कठिन परीक्षा है प्रिय दारुण दुःख अति तापित है हिय सम्प्रति समय घटा यह अप्रिय सच है जीवन की निष्ठुरता भी किन्तु अविचल दृढ़ता का धी श्रेय स्नेह का सम्बल है जी बुझ ना जाए मन की बाती जिजीविषा का भरा रखो घी घोर अमा है निशा रो रही विदिश हुई सब दिशा खो रही आँखें भी धुँधली-धुँधली हैं सघन तमस है पर बदली ही है बरसेगी छट जाएगी ही भीतर की ये टिमटिम ऊष्मा प्रण प्रकाश ले आएगी ही कठिन रात्रि के बाद नियत है ऊषा स्नेहमय आएगी ही #toyou #yqfaith #yqfindingin #yqlove #yquncertainities #yqstandingby