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Chanchal Jaiswal

प्रण की कठिन परीक्षा है प्रिय
दारुण दुःख अति तापित है हिय
सम्प्रति समय घटा यह अप्रिय
सच है जीवन की निष्ठुरता भी
किन्तु अविचल दृढ़ता का धी
श्रेय स्नेह का सम्बल है जी
बुझ ना जाए मन की बाती
जिजीविषा का भरा रखो घी
घोर अमा है निशा रो रही
विदिश हुई सब दिशा खो रही
आँखें भी धुँधली-धुँधली हैं
सघन तमस है पर बदली ही है
बरसेगी छट जाएगी ही
भीतर की ये टिमटिम ऊष्मा 
प्रण प्रकाश ले आएगी ही
कठिन रात्रि के बाद नियत है
ऊषा स्नेहमय आएगी ही #toyou #yqfaith #yqfindingin #yqlove #yquncertainities #yqstandingby

Chanchal Jaiswal

कुछ कह बैठूँ तो शिक़ायत न समझना
तुम आदत सी हो मेरी रियायत न समझना
साँसों में सुरखुरु हो बुलाहट न समझना
हर दस्ते क़दम आहट मेरी दीवानगी सी है
तब तलक़ न आना मेरी सदाओं को सुनकर
जबतक इसे अपनी दिली चाहत न समझना
कुछ मत कहना महज़ दिल रखने के वास्ते
ज़ब तक अपना सुकूँ दिली राहत न समझना #toyou#yqassurance#yqfaith#yqlingeringin#yqrestlessness#yqfindingin

Chanchal Jaiswal

हर पल ख़ुद को झुठलाने से
सवालों से पहले मुक़र जाने से
ये दर्द मुसलसल बढ़ता है 
दमकश ये पीर छुपाने से
हर बार महज़ एक अंदेशा
अँधेरे सा भर जाता है
भीतर जलता है दीपक
फिर भी मन प्रकाश ना पाता है
है सत्य सनातन जगत विजित
फिर संबल मिथक क्यों पाता है
श्वाँसों की लौ में जगमग सपना
श्वाँसों से क्यों बुझ जाता है
क्यों प्रीत पराई होती है
क्यों जग बैरी हो जाता है
 #toyou#yqwaysoftheworld#yqlove#yqtime#yqassimilation#yqfindingin

Chanchal Jaiswal

One that brings an unexpected change in you
Strange! Unexpectedly that one changes too
Silence that was a meaningful ethos,
Silence is but an irrevocable loss...
Words! That was a world of dreams,
Words are but a frightening screams;
The eyes! Where the sun was gleaming,
Ah the abyss! An estranged streaming!
And yet you wait for the dawn...
In that very promising lawn
World of promises are forlorn
You were and you!
You are alone...look into the stream
Here cuddles the morning beam
Extremity has it's own extreme
Iife changes mode but theme
Exuberant! One says the colour is always green...
Autumn! For a while though changes the scene!


 #toyou#changingcolours#yqlife#yqtime#yqfindingin#yqlove

Chanchal Jaiswal

भाती है बरबस मुझे बाँसुरी की धुन!

बचपन की साध यौवन का प्रमाद
और साधना श्वाँसों की...
कल मन में बिंधे शूल का 
समय सिंचित भूल का
अंतर्गत राग में ढलना

कुनकुनी धूप धीरे-धीरे उतरना
बर्फ़ सी जमी साँसों का पिघलना
आँखों में नाव कोई चलना
अपने ही पीर से आमुख
संवाद सुगम करना

बंद आँखों में खुलती दुनियाँ
लहरों पर श्वाँस-श्वाँस तिरना
औचक दृश्यों का बदलना
निर्जन नीरव निलय में
परदेशी चाँद का निकलना



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Chanchal Jaiswal

बस मुस्काकर जाने कितनी तहें कुरेदे देते हो
औचक आकर एक फूँक भरकर मरहम रख देते हो
सचमुच प्रिय मन की थाती हो मनमानी मन की भाँति हो
सन्नाटे की जमी रेत पर शीतस परचम रख देते हो
उगकर नयनों में चिर प्रकाश ऊष्मित उर्जित कर देते हो
उत्कट मन की अनगिन कैसी विकट परीक्षा लेते हो

     #toyou#yqwhy#time#yqpatience#yqlove#yqlife#yqfindingin

Chanchal Jaiswal

मन ही मन से विरल तरल हो फिर कौन सा द्वीप सितारा होगा
स्वयं, स्वयं से रहें विरत तो अपना कौन हमारा होगा
मन की गति मन ही ना जाने किस पथ पर फिर जाना होगा
स्वयं, स्वयं की ठाम न पाए फिर अपना कौन ठिकाना होगा
मन ही मन से क्षुब्ध रहे तो क्या फिर हमको प्यारा होगा
साथ स्वयं का भी ना दें तो बोलो कौन सहारा होगा
अग - जग जीतोगे क्या भाई जब मन से ही मन हारा होगा
संबल सबल जगाओ मन में! ये स्वयं अचल ध्रुवतारा होगा
प्रकट कहेंगी सभी दिशाएँ उज्ज्वल पंथ तुम्हारा होगा
किस पथ तुमको जाना है मन! निर्णय स्वयं तुम्हारा होगा
कोई आशा नहीं किसी से हृदबल अचल तुम्हारा होगा
स्मित आनन अभिमुख उन्नत हो निश्चय अटल तुम्हारा होगा
स्वयं, स्वयं को थाम चलो बस पार सकल भवसारा होगा
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Chanchal Jaiswal

আকাশের পাখি
খেইলা টা সেই কি
পাখের মাঝে দিবস
দোলতে থাকে সেই কি

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Chanchal Jaiswal

किसने कहा विकल हो
किसने कहा विरल हो
तुम हो सुघर सलोने
बादल सरस सघन हो
न जाने कितनी आशा
के तुम असीम धन हो
महनीय हो तुम उतने
जितने ही सरल मन हो
वसुधा किलकती कहती
तुम ही तो जीवन जल हो
तुम मृदुल प्रकृति के
वरीय वर्णक्रम हो
तुमसे ही चित्रमय है
संसार! तुम सृजन हो
मेधा के तुम मनन हो
मंथन के अमिय कण हो!
भयभीत क्यों समय से?
तुम कालजयी क्षण हो
सच है व्यथा तुम्हारी
दृढ़ता है इसपे भारी
आवर्तनों में इसके
स्वर्णिम कथा तुम्हारी
तुम विज्ञ, प्रज्ञ, प्रमुदित
साहित्य के रतन हो
संचित करे संस्कृति जो
तुम सदय वो जतन हो
आनंद! मुग्द्ध मृदुमन
आनंद में मगन हो
सदैव इस निकुंज में
निकष की सतत लगन हो

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