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ज़िंदगी में पहला कदम रखा नहीं, और ज़िंदगी का सबक

ज़िंदगी में पहला  कदम रखा नहीं, और ज़िंदगी का सबक देते हैं,
जो ठीक से पानी भी नहीं पीते, वो मदिरा पीने की  सलाह देते हैं।

जिसने परोपकार  किया ही नहीं, वो मुझ पर  अहसान जताते हैं,
जिनकी फितरत अपशब्द कहना, मुझे बोलने का ढंग सिखाते हैं।

जिन्हें ठीक से  चलना भी नहीं आता, वो मुझे नाचना सिखाते हैं,
जिन्हें ठीक से  पढ़ना भी नहीं आता, वो मुझे लिखना सिखाते हैं।

जिनसे ख़ुद का  परिवार नहीं  संभलता, वो मुखिया  बन जाते हैं,
जिन्हें ठीक से  तैरना तक  नहीं आता, वो नैया को  पार लगाते हैं।

जिन्होंने कभी  कलम पकड़ी  ही नहीं, कवि लेखक  बन जाते हैं,
जिन्होंने सुभाषित  तक नहीं पढ़ी, वो गीता का  उपदेश सुनाते हैं।

जिनको धर्म का तनिक ज्ञान नहीं, वो धार्मिक उन्माद  फैलाते हैं,
जो होते हैं  भ्रष्टाचारी, दुराचारी, व्यभिचारी, वो मंत्री बन जाते हैं। आज का विषय:- पहला कदम रखा नहीं।
प्रतियोगिता नंबर:- 10

आपकी रचना उत्साह से भरी होनी चाहिए साथ ही मुसीबतों से हारे हुए लोगों की बात भी कि गई हो उसमे।

👉आप सभी Collab करने के लिए आमंत्रित हैं।

👉Collab करने के बाद कॉमेंट में Done करना ना भूलें।
ज़िंदगी में पहला  कदम रखा नहीं, और ज़िंदगी का सबक देते हैं,
जो ठीक से पानी भी नहीं पीते, वो मदिरा पीने की  सलाह देते हैं।

जिसने परोपकार  किया ही नहीं, वो मुझ पर  अहसान जताते हैं,
जिनकी फितरत अपशब्द कहना, मुझे बोलने का ढंग सिखाते हैं।

जिन्हें ठीक से  चलना भी नहीं आता, वो मुझे नाचना सिखाते हैं,
जिन्हें ठीक से  पढ़ना भी नहीं आता, वो मुझे लिखना सिखाते हैं।

जिनसे ख़ुद का  परिवार नहीं  संभलता, वो मुखिया  बन जाते हैं,
जिन्हें ठीक से  तैरना तक  नहीं आता, वो नैया को  पार लगाते हैं।

जिन्होंने कभी  कलम पकड़ी  ही नहीं, कवि लेखक  बन जाते हैं,
जिन्होंने सुभाषित  तक नहीं पढ़ी, वो गीता का  उपदेश सुनाते हैं।

जिनको धर्म का तनिक ज्ञान नहीं, वो धार्मिक उन्माद  फैलाते हैं,
जो होते हैं  भ्रष्टाचारी, दुराचारी, व्यभिचारी, वो मंत्री बन जाते हैं। आज का विषय:- पहला कदम रखा नहीं।
प्रतियोगिता नंबर:- 10

आपकी रचना उत्साह से भरी होनी चाहिए साथ ही मुसीबतों से हारे हुए लोगों की बात भी कि गई हो उसमे।

👉आप सभी Collab करने के लिए आमंत्रित हैं।

👉Collab करने के बाद कॉमेंट में Done करना ना भूलें।