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दो पंछी बैठकर सोचते हैं, कि अब घोंसला कहाँ बनाया

दो पंछी बैठकर सोचते हैं, 
कि अब घोंसला कहाँ बनाया जाए।
जहाँ हम बेफ़िक्र होकर रह सकें, 
और हमें दर-बदर भटकना न पड़े। 
क्योंकि आज हर तरफ़ ये समझदार, 
इंसान एक घोंसला हटा कर दूसरा,
घोंसला बनाते जा रहे हैं। 
न जाने ये कैसी समझदारी है, 
कि एक घर हटा कर दूसरा घर सजा रहे हैं।
उन्हें अपने बचपन का वो घोंसला याद आता है, 
जहाँ वो खेलते कूदते बड़े हुए और, 
बड़े घोसले के लिए अपने घर को छोड़ आए कहीं।  यह COLLAB के लिए खुला है।✨💫 

अपने सुसज्जित विचारों व शब्दों के साथ इस पृष्ठभूमि को सजायेंl✒️✒️

• PROFOUND WRITERS द्वारा दी गई  इस चुनौती को पूरा करें। 💎

• अपने दिल की भावनाओं को शब्दों में पिरोकर इस अद्भुत पृष्ठभूमि की सुंदरता बढ़ाएं।
दो पंछी बैठकर सोचते हैं, 
कि अब घोंसला कहाँ बनाया जाए।
जहाँ हम बेफ़िक्र होकर रह सकें, 
और हमें दर-बदर भटकना न पड़े। 
क्योंकि आज हर तरफ़ ये समझदार, 
इंसान एक घोंसला हटा कर दूसरा,
घोंसला बनाते जा रहे हैं। 
न जाने ये कैसी समझदारी है, 
कि एक घर हटा कर दूसरा घर सजा रहे हैं।
उन्हें अपने बचपन का वो घोंसला याद आता है, 
जहाँ वो खेलते कूदते बड़े हुए और, 
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