White धुंध कुहासा फैला है चारों ओर, चुप है पंछी, थमा है हर शोर। सूरज भी छुपा बादलों की ओट, धरती का मन भी हुआ है कठोर। सर्द हवा की चुभन सी बात, खो गए रंग, बुझ गई हर बात। कोने में बैठी है इक गरम चाय, सुकून लिए जैसे कोई साथ। हाथ में प्याली, खिड़की के पास, धुंध के संग चलता वक्त का हास। चाय की खुशबू में घुलती है ठंड, जीवन में जैसे लौट आया छंद। ©"सीमा"अमन सिंह #banarasi_Chhora