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तुम्हें मालूम था तुम्हे हम कई टुकड़ों में मिले थे.

तुम्हें मालूम था तुम्हे हम
कई टुकड़ों में मिले थे...
तुमने समेटा जब हमें
तब जाकर फिर से खिले थे।
अब तुमको ही नहीं गंवारा
मेरा जरा सा वजूद!
तुम तो मंजिल तक जाने को
मेरे साथ चले थे!!

©शब्दकार निम्मी
   #बिछड़ना