Nojoto: Largest Storytelling Platform

नैनों में सावन लगा , हृदय चैत्र वैशाख । फागुन में

नैनों में सावन लगा , हृदय चैत्र वैशाख ।
फागुन में आवन कहें , टूटी वो भी शाख ।।

मन का तो शृंगार है , पिया तुम्हारा प्यार ।
बिछुआ चूड़ी मेंहदी , सब तन का शृंगार ।।

सावन भादों ही पिया , करते हो मनुहार ।
बारहो महीने बावरी , तरसे तेरा प्यार ।।






                  महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR नैनों में सावन लगा , हृदय चैत्र वैशाख ।
फागुन में आवन कहें , टूटी वो भी शाख ।।

मन का तो शृंगार है , पिया तुम्हारा प्यार ।
बिछुआ चूड़ी मेंहदी , सब तन का शृंगार ।।

सावन भादों ही पिया , करते हो मनुहार ।
बारहो महीने बावरी , तरसे तेरा प्यार ।।
नैनों में सावन लगा , हृदय चैत्र वैशाख ।
फागुन में आवन कहें , टूटी वो भी शाख ।।

मन का तो शृंगार है , पिया तुम्हारा प्यार ।
बिछुआ चूड़ी मेंहदी , सब तन का शृंगार ।।

सावन भादों ही पिया , करते हो मनुहार ।
बारहो महीने बावरी , तरसे तेरा प्यार ।।






                  महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR नैनों में सावन लगा , हृदय चैत्र वैशाख ।
फागुन में आवन कहें , टूटी वो भी शाख ।।

मन का तो शृंगार है , पिया तुम्हारा प्यार ।
बिछुआ चूड़ी मेंहदी , सब तन का शृंगार ।।

सावन भादों ही पिया , करते हो मनुहार ।
बारहो महीने बावरी , तरसे तेरा प्यार ।।

नैनों में सावन लगा , हृदय चैत्र वैशाख । फागुन में आवन कहें , टूटी वो भी शाख ।। मन का तो शृंगार है , पिया तुम्हारा प्यार । बिछुआ चूड़ी मेंहदी , सब तन का शृंगार ।। सावन भादों ही पिया , करते हो मनुहार । बारहो महीने बावरी , तरसे तेरा प्यार ।। #कविता