प्रियस्ससङ्गमे कुतोतुनिद्रा प्रियस्परोक्षे कुतोतुनिद्रा। द्वयोः प्रकारेण नष्टाभवत सः इतोतु न निद्रा सउतोतु न निद्रा:।। भाव-प्रिय के संगम में नींद कंहा, प्रिय यदि परोक्ष होता है तो भी नींद कंहा। दोनों ही प्रकार से नष्ट हो गयी हूं वह यंहा होता है तो नींद नही,और वंहा होता है तो भी नींद नही। 💌महेशोsयं💌 ©Mahesh Tiwari #प्रातः काल