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Amit Singhal "Aseemit"

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Amit Singhal "Aseemit"

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Jitendra Singh

#प्रातः #Sun #Sunrise #sunrays Rakesh Srivastava Advocate Suraj Pal Singh DELHI Hemant Samadhiya Dharmendra Singh anjali foujdar #कविता

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देख तुम्हें प्रसरित हुआ, है चहुँ दिशि आनंद।
वसुधा का कण कण खिला,प्रमुदित हैं खगवृन्द।।
         ✍परेशान✍

©Jitendra Singh #प्रातः
#sun
#sunrise
#sunrays Rakesh Srivastava Advocate Suraj Pal Singh DELHI Hemant Samadhiya Dharmendra Singh anjali foujdar

Khushi Kandu

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Mahesh Tiwari

#प्रातः काल

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प्रियस्ससङ्गमे कुतोतुनिद्रा प्रियस्परोक्षे कुतोतुनिद्रा।
द्वयोः प्रकारेण नष्टाभवत सः इतोतु न निद्रा सउतोतु न निद्रा:।।
भाव-प्रिय के संगम में  नींद कंहा, प्रिय यदि परोक्ष होता है तो भी नींद कंहा। दोनों ही प्रकार से नष्ट हो गयी हूं वह यंहा होता है तो नींद नही,और वंहा होता है तो भी नींद नही।

              💌महेशोsयं💌

©Mahesh Tiwari #प्रातः काल

Ravi

#तृतीय_वृक्षारोपण_कार्यक्रम_मंगलवार 4 #अगस्त 2020 ,#प्रातः 9:00 #बजे_से_प्रारंभ 
#आप_सादर_आमंत्रित_है !
 #स्थान :-आदर्श मोक्षधाम विकास समिति लालकोठी भेरूजी ( बगरू )

Jitendra Rony

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Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 13 - हृदय परिवर्तन 'मैडम! यह मेरा उपहार है - एक हिंसक डाकू का उपहार!' मैडम ने आगन्तुक के हाथ से पत्र लेकर पढा। 'मैं कृतज्ञ होऊंगा, यदि इसे आप स्वीकार कर लेंगी।' चर दोनों हाथों में एक अत्यन्त कोमल, भारी बहुमूल्य कम्बल लिये, हाथ आगे फैलाये, मस्तक झुकाये खड़ा था। 'मैं इसे स्वीकार करूंगी।' एक क्षण रुककर मैडम ने स्वतः कहा। उनका प्राइवेट सेक्रेटरी पास ही खड़ा था और मैडम ने उसकी ओर पत्र बढ़ा दिया था। 'तुम अपने स्वामी से कहना, मैंने उनका उपहार स्

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
13 - हृदय परिवर्तन

'मैडम! यह मेरा उपहार है - एक हिंसक डाकू का उपहार!' मैडम ने आगन्तुक के हाथ से पत्र लेकर पढा। 'मैं कृतज्ञ होऊंगा, यदि इसे आप स्वीकार कर लेंगी।' चर दोनों हाथों में एक अत्यन्त कोमल, भारी बहुमूल्य कम्बल लिये, हाथ आगे फैलाये, मस्तक झुकाये खड़ा था।

'मैं इसे स्वीकार करूंगी।' एक क्षण रुककर मैडम ने स्वतः कहा। उनका प्राइवेट सेक्रेटरी पास ही खड़ा था और मैडम ने उसकी ओर पत्र बढ़ा दिया था। 'तुम अपने स्वामी से कहना, मैंने उनका उपहार स्

NC

प्रातः पंछियों का कलरव 
चित्रित सुंदर लगता नभ 
नवनीत से हो गए घन 
उडान भरता है निश्छल मन
मोतियों से दमकता हरित तन
जीवों की हरती थकन 
नवऊषा की प्रथम किरण
जो देखे प्रगति के स्वप्न
पूर्ण होने के करते जतन
होता नव उमंग का सिंचन
हर्षित हो जाता जन जन 
हर ओर बिखरा प्रातः धन
कोई नहीं इस से निर्धन ।। #nojotohindi#nojotophotography#kavita#poetry#morning#subah#pratahkaal#प्रातःकाल

काव्याभिषेक

भोगी को भोग चाहिए ,
कामी को संभोग।
जो लांघी दोनों की सीमा,
होवे शताधिक रोग।
प्रकृति प्रदत्त मूल औषधि,
का करे सदा उपयोग।
 भगें भयंकर रोग बीमारी,
नित्य रहे नीरोग।
बीमारी न पैदा होतीं,
जो करो प्रातः नित योग।
कभी न देखो वैद्य वदन को,
करो प्रातः नित योग । #internationalyogdivas
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