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प्यास लहरों की तड़पती ही रही धूप साहिल पे बरस

प्यास  लहरों की  तड़पती  ही रही
धूप  साहिल  पे  बरसती  ही  रही !

रंजिशों  के  इस शहर में  क्या  रहूँ
हर  गली  तन्हा सिसकती ही  रही !

ज़िन्दगी  सबकी  हसीं  होती  नहीं
धार  अश्क़ों  की  उतरती  ही  रही !

मौज  दरिया की  अभी उतरी नहीं
हसरतें  कितनी  तरसती  ही  रही !

भीगता साहिल तुरत फिर सूखता
धूप  साहिल  पे  बरसती  ही  रही !

©malay_28 #साहिल

#साहिल
प्यास  लहरों की  तड़पती  ही रही
धूप  साहिल  पे  बरसती  ही  रही !

रंजिशों  के  इस शहर में  क्या  रहूँ
हर  गली  तन्हा सिसकती ही  रही !

ज़िन्दगी  सबकी  हसीं  होती  नहीं
धार  अश्क़ों  की  उतरती  ही  रही !

मौज  दरिया की  अभी उतरी नहीं
हसरतें  कितनी  तरसती  ही  रही !

भीगता साहिल तुरत फिर सूखता
धूप  साहिल  पे  बरसती  ही  रही !

©malay_28 #साहिल

#साहिल