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मौज मस्ती की उम्र में धीरज धरना सीख गए। ऐसा सिला

मौज मस्ती की उम्र में धीरज धरना सीख गए।
 ऐसा सिला दिया सनम ने रोना करना सीख गए।

 प्यार की डगर बड़ी कठिन है किए लाख जतन
 वो अपना न हुआ हम पत्थर पर लिखना सीख गए।
 हर दस्तूर निभाया हमने फिर भी न पिघला वो
 जीना भूल गए हम जीते जी मरना सीख गए।

 उजड़ी क्यों प्यार की वस्ती हमने जान लिया
 साँझना संवारना छोड़ सादगी से रहना सीख गए।

 मौत क्या मारेगी हमको हम रहे हैं मझधारों में
 ऐसे आए तूफान पतवारों संग वहना सीख गए।

©S.Ram Vishwakarma "sagar"
  #Raftaar