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कीचड़ में खिलकर कमल पुष्प अपनी सुंदरता नहीं खोता मै

कीचड़ में खिलकर कमल पुष्प अपनी सुंदरता नहीं खोता
मैले कुचैले माहौल में रहकर भी मन की प्रसन्नता नहीं खोता
मानव रूपी पुष्प तो अब विरह ही देखने को मिलते है कभी
और पुष्प रूपी मानव देखने को मिल जाए अब ऐसा नहीं होता

©Brijendra Singh
  mahatva

mahatva #समाज

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