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घने वृक्ष की इक शाखा तुम हो चलो इंसानियत का फर्ज न

घने वृक्ष की इक शाखा तुम हो
चलो इंसानियत का फर्ज निभाओ।
फुटपाथों पर बिखरी पड़ी जो
ठंढ़ से ठिठुरती जिंदगी बचाओ।
किसी का छत न बन सको तो
जला कर खुद को बनो अलाव।
©अलका मिश्रा

©alka mishra #अलाव
घने वृक्ष की इक शाखा तुम हो
चलो इंसानियत का फर्ज निभाओ।
फुटपाथों पर बिखरी पड़ी जो
ठंढ़ से ठिठुरती जिंदगी बचाओ।
किसी का छत न बन सको तो
जला कर खुद को बनो अलाव।
©अलका मिश्रा

©alka mishra #अलाव