कैसा बुज़दिल हूँ मैं...?, कि मोहब्बतों में कभी मेरी शिकस्त न हुई..! तू आते-आते आती रही जाते-जाते जाती रही, उम्मीद मेरी पस्त न हुई..! मैं सूखे सहरा सा तू बहते दरिया सी तेरे छींटे तलक न मिले मुझे यूँ तो ये खुदा की मुझ पे इनायत न हुई..! मैं बार बार कहता रहा कौल है तेरी तेरा आना पल दो पल की भी हलचल न हुई मेरे महबूब की हुई ख़्वाबीदा मुझ पे इनायत, ख़्वाब था फकत हक़ीक़त न हुई ये ले मैं आ उलझा फिर मुझमें, इरादतन गैर-इरादतन तेरे बर'अक्स मुझसे साज़िश न हुई..! ©Narendra Barodiya #narendrabarodiya #nazm #Nojoto #nojotohindi