एक बार एक घड़ी सजना तुम काम करना देख कर मेरा चेहरा खुदा को सलाम करना | मांगा है तुम को हर दुआ की चुप्पी में गर कभी मैं चुप रहा हूं तो मेरा मान करना | काली - काली रातों में दबे हुए जज्बातों में ना हो सके कभी गुफ्तगू तो गुणगान करना | गर हम मिले कभी श्रीगंगा घाट के किनारे नजरें मत झुकाना तुम यह एहसान करना | बंजर पड़ी छाती का जब तुम सजदा करोगे चलाना पोरें फूलों की नींव तैयार नाम करना | चूमना तुम भी मेरा माथा बारीकी से और मन में सिमरन - ए - भगवान करना | सुशील की आंखें नशीली और तासीर गाफिल तेरे आंचली इत्र से गफलत को हराम करना | अगर उठें कभी किसी बिस्तर से सोकर हम उन बिस्तरों को आयतों का अता नाम करना | मेरी रूह में नहीं है खींचातानी के फरमान तेरे हिस्से का थोड़ा सा अमृत मेरे नाम करना | एक बार एक घड़ी सजना तुम काम करना देख कर मेरा चेहरा खुदा को सलाम करना | मांगा है तुम को हर दुआ की चुप्पी में गर कभी मैं चुप रहा हूं तो मेरा मान करना | काली - काली रातों में दबे हुए जज्बातों में ना हो सके कभी गुफ्तगू तो गुणगान करना |