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तुम्हारी मोहब्बत का जुनून, हम पर कुछ इस कदर छाता ह

तुम्हारी मोहब्बत का जुनून,
हम पर कुछ इस कदर छाता है l
देखता हूं जब कभी मैं दर्पण,
चेहरा तेरा नज़र आता है l
पिछले कुछ दिनों से,
सब कुछ बेतरतीब सा लगता है l
हर मिलने वाला शख्स मुझे,
अजीब सा लगता है l
साँस मैं लेता हूं,
खुशबू तेरी बिखर जाती है l
आंखें बन्द करता हूं तो,
तेरी तस्वीर उभर आती है l
ख़्वाब भी गर आते है,
तो वो भी तुम्हारे,
ख़्वाब में कोई हसीना आती है,
तो वो भी सिर्फ तुम हो,
इश्क़ होता है गर किसी से,
ख़्वाब में, वो भी तुम हो,
और वो भी सिर्फ तुम हो,
ख़्वाब टूटने पर, सबसे पहले,
 जिसका ख्याल मुझे आता है l
देखता हूं जब कभी मैं दर्पण,
तो तेरा चेहरा नज़र आता है ll
______
7 जून 1996

©Dimple Kumar
  #दर्पण