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उसने आहट भी तो न कि थी मगर मैं पहचान गया फैली हर

उसने आहट भी तो न कि थी मगर मैं पहचान  गया
फैली  हर तरफ उसकी  ही खुशबू इन नज़ारो में थी 

उसकी  रोशनी  बिखरी थी यूँ  मुसलसल अंधेरों  में 
वो  चाँद  के जैसी  चमक इन बेशुमार सितारों में थी 

इश्क़ का  ही  रंग  बिखरा था  हर  तरफ, हर  शह में
फूल सारे बस लाल थे,गुलाबी हंसी आबशारों की थी

मेरी  कलम  ने  तुम्हारा  नाम  भी  पूरा  न  लिखा था
मगर  अपनी  इश्क़  की कहानी  सारे अखबारों में थी 

मैंने  बहुत  चुपके से  रखा था  तेरी गली में हर कदम
फिर  भी  हर खिड़की पे आँखे सारी पहरेदारों सी थी 

जान  गई मगर एक बात का गरूर है मुझको फिर भी
कम  से  कम अपनी  गिनती यहाँ इश्क़ के मारों में थी  🎀 Challenge-415 #collabwithकोराकाग़ज़

🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 

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उसने आहट भी तो न कि थी मगर मैं पहचान  गया
फैली  हर तरफ उसकी  ही खुशबू इन नज़ारो में थी 

उसकी  रोशनी  बिखरी थी यूँ  मुसलसल अंधेरों  में 
वो  चाँद  के जैसी  चमक इन बेशुमार सितारों में थी 

इश्क़ का  ही  रंग  बिखरा था  हर  तरफ, हर  शह में
फूल सारे बस लाल थे,गुलाबी हंसी आबशारों की थी

मेरी  कलम  ने  तुम्हारा  नाम  भी  पूरा  न  लिखा था
मगर  अपनी  इश्क़  की कहानी  सारे अखबारों में थी 

मैंने  बहुत  चुपके से  रखा था  तेरी गली में हर कदम
फिर  भी  हर खिड़की पे आँखे सारी पहरेदारों सी थी 

जान  गई मगर एक बात का गरूर है मुझको फिर भी
कम  से  कम अपनी  गिनती यहाँ इश्क़ के मारों में थी  🎀 Challenge-415 #collabwithकोराकाग़ज़

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vishalvaid9376

Vishal Vaid

New Creator