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" आज फिर से तेरी याद आ रही हैं , क्या लिखूं कि दिल

" आज फिर से तेरी याद आ रही हैं ,
क्या लिखूं कि दिल कुछ सम्भल सा जाये ,
तेरे ख्याल मजबूर कर रहे हैं ,
ऐसे में तुझे कुछ ज्यादा याद‌ करु ,
कुछ और थोड़ी भूल जाऊ . " 

                    --- रबिन्द्र राम " आज फिर से तेरी याद आ रही हैं ,
क्या लिखूं कि दिल कुछ सम्भल सा जाये ,
तेरे ख्याल मजबूर कर रहे हैं ,
ऐसे में तुझे कुछ ज्यादा याद‌ करु ,
कुछ और थोड़ी भूल जाऊ . " 

                    --- रबिन्द्र राम
" आज फिर से तेरी याद आ रही हैं ,
क्या लिखूं कि दिल कुछ सम्भल सा जाये ,
तेरे ख्याल मजबूर कर रहे हैं ,
ऐसे में तुझे कुछ ज्यादा याद‌ करु ,
कुछ और थोड़ी भूल जाऊ . " 

                    --- रबिन्द्र राम " आज फिर से तेरी याद आ रही हैं ,
क्या लिखूं कि दिल कुछ सम्भल सा जाये ,
तेरे ख्याल मजबूर कर रहे हैं ,
ऐसे में तुझे कुछ ज्यादा याद‌ करु ,
कुछ और थोड़ी भूल जाऊ . " 

                    --- रबिन्द्र राम