वह है जीवन संगिनी , मैं उसका संसार । आयु हमारी राम जी , कर दो तुम उपहार ।। हाथ नही तुम छोड़ना , चलना मेरे संग । प्रीति रंग बनके सदा , लिपटू तेरे अंग ।। आज हमारे बीच में , रहा न कोई भेद । हम तुम इतने पास में , रहता सबको खेद ।। करो बधाई आज तुम , मेरी भी स्वीकार । तुम हो जीवन संगिनी , मैं तेरा संसार ।। हर पल मेरे साथ का , ले लो तुम आनंद । कुछ क्षण पहले आपसे , हो ये साँसें बन्द ।। १४/०२/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR वह है जीवन संगिनी , मैं उसका संसार । आयु हमारी राम जी , कर दो तुम उपहार ।। हाथ नही तुम छोड़ना , चलना मेरे संग । प्रीति रंग बनके सदा , लिपटू तेरे अंग ।। आज हमारे बीच में , रहा न कोई भेद । हम तुम इतने पास में , रहता सबको खेद ।।