तुम उन्हें झेलते रहे वो तुम्हे ठेलते रहे देश मे फैला कर दहशतें गर्त में धकेलते रहे भारत पर भार भारी है साजिशें ही सहेजी है नाथ नाथो विषैले नाग को जहर विलोलते रहे खुद न हिन्दू नही मुस्लिम जात जिहाद कराने को है हिन्दू मुस्लिम की माला तोड़ कर खेलते रहे अजय जैन अविराम नाथ नत्थी नाग को