कविता की गूंज से खिला था जो फूल वहां फूल उस कवि के साथ चला गया बची है टहनियां बिन पानी के उस गमले में विद्वानों ने उस टहनी पर कांटे की कलम को जोड़ दिया विपत्ति कुछ ऐसी आ गई कांटे की कलम खिलकर हरी-भरी होने लगी दूसरी फूल की टहनी जो लगातार सूख रही थी उस पर दीमक अपना घर बसा रही थी दीमक और कांटे की समानता तो देखो कांटे की कली पर पत्तियां वितरित होने लगी दीमक अपना काम महानता से कर रहा था फूल की टहनी को समाप्त और कांटे की टहनी को फैला रहा था नाजुक से काटे अब चुभने को तैयार हो गए बिन कांटे की टहनी को सब काटने लग गए इतिहास गवाह है इस धरती पर प्यारे साथियों कांटे की टहनियों से सब उलझने भूल गए 🖊️कविता रचियता🖊️ एक्टिव विशाल पैन्यूली ऋषिकेश देहरादून कविता का अर्थ यदि समझ में आ जाए तो कमेंट में अपनी प्रतिक्रिया अवश्य लिखना जय हिंद #Beauty