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तुम से न मिल के ख़ुश हैं वो दावा किधर गया दो रोज़

तुम से न मिल के ख़ुश हैं वो दावा किधर गया
दो रोज़ में गुलाब सा चेहरा उतर गया

जान-ए-बहार तुम ने वो काँटे चुभोए हैं
मैं हर गुल-ए-शगुफ़्ता को छूने से डर गया

मैं भी समझ रहा हूँ कि तुम तुम नहीं रहे
तुम भी ये सोच लो कि मिरा अमित मर गया!

©dilkibaatwithamit तुम से न मिल के ख़ुश हैं वो दावा किधर गया
दो रोज़ में गुलाब सा चेहरा उतर गया

जान-ए-बहार तुम ने वो काँटे चुभोए हैं
मैं हर गुल-ए-शगुफ़्ता को छूने से डर गया

मैं भी समझ रहा हूँ कि तुम तुम नहीं रहे
तुम भी ये सोच लो कि मिरा अमित मर गया! शेरो शायरी दोस्ती शायरी शायरी attitude
तुम से न मिल के ख़ुश हैं वो दावा किधर गया
दो रोज़ में गुलाब सा चेहरा उतर गया

जान-ए-बहार तुम ने वो काँटे चुभोए हैं
मैं हर गुल-ए-शगुफ़्ता को छूने से डर गया

मैं भी समझ रहा हूँ कि तुम तुम नहीं रहे
तुम भी ये सोच लो कि मिरा अमित मर गया!

©dilkibaatwithamit तुम से न मिल के ख़ुश हैं वो दावा किधर गया
दो रोज़ में गुलाब सा चेहरा उतर गया

जान-ए-बहार तुम ने वो काँटे चुभोए हैं
मैं हर गुल-ए-शगुफ़्ता को छूने से डर गया

मैं भी समझ रहा हूँ कि तुम तुम नहीं रहे
तुम भी ये सोच लो कि मिरा अमित मर गया! शेरो शायरी दोस्ती शायरी शायरी attitude