गहन अन्धेरों का जोर है परिक्षा कठोर है धर्य से ध्यान लक्ष्य भेदने का रख आंधियों में टूट कर मत बिखर पहले भी तो धरा पर आये है तूफान बहुत भटक गए राह से जो उड़ गए हवा में वो टूटे पत्ते किस पेड़ के है यह जानता कौन है बीज की तरह अन्धेरों को हरा समेट कर खुद को प्रयास कर वटवृक्ष बन जा बबली गुर्जर ©Babli Gurjar वटवृक्ष