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टूटे,छूटे,बिखर गए कुछ वक़्त नहीं मिल पाने से, शज़र

टूटे,छूटे,बिखर गए कुछ वक़्त नहीं मिल पाने से,
शज़र रहा आबाद फक़त शाख़ों पर पत्ते आने से,

मिलना-जुलना और बिछड़ना किस्मत से होता यारों, 
रहता  बेपरवाह  मुसाफ़िर  लुटते  हुए  ख़ज़ाने  से, 

यौवन की उमंग में बेशक़ समझ नहीं पाता इंसां,
सहना पड़ जाता जीवन में स्वागत हो जब ताने से,

ज़ज्बातों में रात समां को जिसने सौंप दिया सबकुछ,
इश्क है क्या ?  ये पूछो जाकर पंख जले परवाने से,

हालातों  से  हार  मानकर  कूद  गए  जो  दरिया  में, 
डूब गए ग़म के प्याले में उफ्फ न किया मयखाने से,

धुन में अपनी मस्त फिरे परवाह नहीं जग वालों की, 
पूछो  कैसे  वक़्त  गुजरता  भला  यहाँ  दीवाने  से, 

शिकवे और शिक़ायत 'गुंजन' फ़ितरत में है पोशीदा, 
अगर आईना देख लिया फिर बच जाता हर्जाने से, 
   ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
      चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #स्वागत हो जब ताने से#
टूटे,छूटे,बिखर गए कुछ वक़्त नहीं मिल पाने से,
शज़र रहा आबाद फक़त शाख़ों पर पत्ते आने से,

मिलना-जुलना और बिछड़ना किस्मत से होता यारों, 
रहता  बेपरवाह  मुसाफ़िर  लुटते  हुए  ख़ज़ाने  से, 

यौवन की उमंग में बेशक़ समझ नहीं पाता इंसां,
सहना पड़ जाता जीवन में स्वागत हो जब ताने से,

ज़ज्बातों में रात समां को जिसने सौंप दिया सबकुछ,
इश्क है क्या ?  ये पूछो जाकर पंख जले परवाने से,

हालातों  से  हार  मानकर  कूद  गए  जो  दरिया  में, 
डूब गए ग़म के प्याले में उफ्फ न किया मयखाने से,

धुन में अपनी मस्त फिरे परवाह नहीं जग वालों की, 
पूछो  कैसे  वक़्त  गुजरता  भला  यहाँ  दीवाने  से, 

शिकवे और शिक़ायत 'गुंजन' फ़ितरत में है पोशीदा, 
अगर आईना देख लिया फिर बच जाता हर्जाने से, 
   ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
      चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #स्वागत हो जब ताने से#