"अदभुत, अद्वितीय , सौंदर्य से परिपूर्ण , कितना मनमोहक प्राकृतिक दृश्य है , इन् नयनों को शीतललता प्रदान करती ये हरियाली , जहाँ तलक ये दृष्टि जाती है हरियाली ही हरियाली नजर आती है , मिट्टी की सौंधी सौंधी सी खुश्बू जीवन को महकती है , ये नदियाँ ,ये पहाड़ , ये झरनों से गिरता शीतल जल , ये इठलाती नदियां की लहरें ,ये भीनी भीनी फूलों की महक , ये सन्नन सन्नन चलती पवन , मानो रोम रोम थिरकाती है ," सोंचकर ही हृदय कितना पुलकित हो उठता है , किसी रोज़ छाँव की तलाश में जब तुम घर से निकलोगे , हरी भरी बगिया नहीं , कोसों बंजर जमीं मिलेगी , काट रहे हो जो इतनी कुरुरता से वृक्षों को , एक रोज़ इसी की छाँव को तरसोगे, ये वृक्ष हमारी धरोहर है , इसे ऐसे तो मत नष्ट करो | "अदभुत, अद्वितीय , सौंदर्य से परिपूर्ण , कितना मनमोहक प्राकृतिक दृश्य है , इन् नयनों को शीतललता प्रदान करती ये हरियाली , जहाँ तलक ये दृष्टि जाती है हरियाली ही हरियाली नजर आती है , मिट्टी की सौंधी सौंधी सी खुश्बू जीवन को महकती है , ये नदियाँ ,ये पहाड़ , ये झरनों से गिरता शीतल जल , ये इठलाती नदियां की लहरें ,ये भीनी भीनी फूलों की महक , ये सन्नन सन्नन चलती पवन ,