"ढलाव" ढलना तो एक रिवाज सा है, सबको ही ढलना होता हैं, सब चीजें पहले से क्लियर नही होती, कुछ समझनी भी पड़ती हैं, कुछ नए विचारो को अपनाना भी पड़ता हैं। इसका मतलब ये तो नही की मन मुताबिक हो, कुछ चाहत तो मन को भी नही पता होती कि, क्या जरूरी हैं, फिर भी जैसे ही हम किसी काम मे इन्वॉल्व होते हैं, तो उस और ढलाव हो ही जाता हैं, फिर इसे जबरदस्ती कहो या मन मुताबिक।। ©अर्पिता #ढलाव