" कुछ पल ठहर तो सही तेरे सांसों में महक जाना चाहते हैं , जो अधुरी ख्वाहिशें तुझसे मिल के मुकमबल करनी है , रोज़ ख्यालों में जिक्र होता है वो शख़्स गुमनाम तु है , मिल कुछ यु ये लम्हा बिन मौसम के जैसे बरसात रहे ." --- रबिन्द्र राम Pic : pinterest " कुछ पल ठहर तो सही तेरे सांसों में महक जाना चाहते हैं , जो अधुरी ख्वाहिशें तुझसे मिल के मुकमबल करनी है , रोज़ ख्यालों में जिक्र होता है वो शख़्स गुमनाम तु है , मिल कुछ यु ये लम्हा बिन मौसम के जैसे बरसात रहे ." --- रबिन्द्र राम