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बो एक लम्हा जो तेरे बिना गुजरा नहीं । जो गम ए समं

बो एक लम्हा जो  तेरे बिना गुजरा नहीं ।
जो गम ए समंदर से आज तक  निकला नहीं ।।
जाम पर जाम  खुशियों के  पीता रहा ।
जो दिय है ज़ख़्म किसी ने बो अब कोई सीता नहीं । शशि शेखर मिश्र
बो एक लम्हा जो  तेरे बिना गुजरा नहीं ।
जो गम ए समंदर से आज तक  निकला नहीं ।।
जाम पर जाम  खुशियों के  पीता रहा ।
जो दिय है ज़ख़्म किसी ने बो अब कोई सीता नहीं । शशि शेखर मिश्र

शशि शेखर मिश्र #शायरी