हंसी-खुशी में बीते दिन, पर हो जाए रात कठिन, मन करने लग जाता चिंतन, नींद बिना मुँह लगे मलिन, रोग-शोक,दुःख मिले अकारण, घेर के रखता है दुर्दिन, अल्प समय ही रहता अवसर, निकल जाए करके पल-छिन, खोल के गठरी देखले अपनी, क्या-क्या मिला है पहले गिन, साँसों का अनमोल खज़ाना, मिला मुफ़्त में हो मत खिन्न, जीवन सफल बनाले 'गुंजन', कर सेवा उतार ले ऋण, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #हँसी-खुशी में बीते दिन#