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जेठ की एक दोपहर प्यास से सूखे अधर नीड़ के निर्माण

जेठ की एक दोपहर
प्यास से सूखे अधर
नीड़ के निर्माण की
गाथाएं लिखता
बाध्यता भूख की
पांव के छालों से कैसे हारती
दो निवाले के लिए
सौ बार मन को मारती
दोपहर की आंच से
मुश्किल बहुत था जूझना
आंखों में आशाएं और
उम्मीद की कुछ राहतें
डूबते दिनमान  के संग
सांझ की बस चाहतें
सर पर न कोई साया हो
चांद बस घर आया हो
शिथिल पड़ते तन
संतृप्त क्षुधा
उल्लसित जीवन...
                         प्रीति
 #नीड़  का निर्माण   #मजबूरी
#yqhindiquotes  
Sandeepji कभी कभी सोच भी आपस में गुफ्तगू कर लेते हैं
जेठ की एक दोपहर
प्यास से सूखे अधर
नीड़ के निर्माण की
गाथाएं लिखता
बाध्यता भूख की
पांव के छालों से कैसे हारती
दो निवाले के लिए
सौ बार मन को मारती
दोपहर की आंच से
मुश्किल बहुत था जूझना
आंखों में आशाएं और
उम्मीद की कुछ राहतें
डूबते दिनमान  के संग
सांझ की बस चाहतें
सर पर न कोई साया हो
चांद बस घर आया हो
शिथिल पड़ते तन
संतृप्त क्षुधा
उल्लसित जीवन...
                         प्रीति
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#yqhindiquotes  
Sandeepji कभी कभी सोच भी आपस में गुफ्तगू कर लेते हैं
preetikarn2391

Preeti Karn

New Creator