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निर्मल गंगा की धार हूँ मैं, आओ टकराओ पहाड़ हूँ मैं,

निर्मल गंगा की धार हूँ मैं,
आओ टकराओ पहाड़ हूँ मैं,
वफ़ा तो कूट-कूट कर भरी है जिसम में,
पूस के महीने में फूलों का बाज़ार हूँ मैं।
🙏मिश्राजी🙏
निर्मल गंगा की धार हूँ मैं,
आओ टकराओ पहाड़ हूँ मैं,
वफ़ा तो कूट-कूट कर भरी है जिसम में,
पूस के महीने में फूलों का बाज़ार हूँ मैं।
🙏मिश्राजी🙏