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सुखी हुई हैं, धरती, सुखा हुआ आशमान हैं| अरे अब कि

सुखी हुई हैं, धरती, सुखा हुआ आशमान  हैं|
अरे अब कितना सुखाओगे,
हमारे यहाँ सुख गया धान हैं|
हे मेघ के देव इन्द्र, अब मत तरसाओं, 
प्यासी हुई धरती के लिये अब तो जल बरसाओ|

©Ramashish Chaudhary किसान भाई के लिये दो लाइन
सुखी हुई हैं, धरती, सुखा हुआ आशमान  हैं|
अरे अब कितना सुखाओगे,
हमारे यहाँ सुख गया धान हैं|
हे मेघ के देव इन्द्र, अब मत तरसाओं, 
प्यासी हुई धरती के लिये अब तो जल बरसाओ|

©Ramashish Chaudhary किसान भाई के लिये दो लाइन