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तुमने अपनी यादें बातें, मन में कहीं छिपा


    तुमने अपनी यादें बातें,
    मन में कहीं छिपा रखीं है,
    मन की,मौजों की दुनिया,
    घर से बाहर ही बसा रखी है।

                    वह तुमको रंग पाये कैसे,
                    जब तुम पहले से ही रंगे हुये हो,
                    निज स्नेह का स्वाद लगाए कैसे,
                    चमकती चाशनी में सने हुये हो।
 यूँ तो उद्भव और सृजन काल से ही व्यक्ति के जीवन में नारी की उपस्थिति होती है।नाल कटने से गृहस्थी बसने तक स्त्री के विविध रंग-रूप,जीवन और मानस पटल पर अंकित हो जाते हैं।एक नवयुवती अपना सब छोड़कर,बस कुछ उम्मीद लिए पुरूष के जीवन में, अपरिचित-सी प्रवेश करती है।जिस क्षण निराश होती है, कुछ प्रश्नात्मक,आलोचनात्मक विचार में कुछ क्षण अवश्य ही डूबती है।निश्चय ही यह आजीवन सत्य नहीं,
फिर भी यह किसी एक क्षण हर अर्धांगिनी के मन की बात है,जो या तो वह कह नही पायी,या आप सुन नहीं पाए। .. चर्चा थोड़ी लंबी है, इसलिए खंडों में है, 
#yqdidi#grihasthi#hindi#poetry

    तुमने अपनी यादें बातें,
    मन में कहीं छिपा रखीं है,
    मन की,मौजों की दुनिया,
    घर से बाहर ही बसा रखी है।

                    वह तुमको रंग पाये कैसे,
                    जब तुम पहले से ही रंगे हुये हो,
                    निज स्नेह का स्वाद लगाए कैसे,
                    चमकती चाशनी में सने हुये हो।
 यूँ तो उद्भव और सृजन काल से ही व्यक्ति के जीवन में नारी की उपस्थिति होती है।नाल कटने से गृहस्थी बसने तक स्त्री के विविध रंग-रूप,जीवन और मानस पटल पर अंकित हो जाते हैं।एक नवयुवती अपना सब छोड़कर,बस कुछ उम्मीद लिए पुरूष के जीवन में, अपरिचित-सी प्रवेश करती है।जिस क्षण निराश होती है, कुछ प्रश्नात्मक,आलोचनात्मक विचार में कुछ क्षण अवश्य ही डूबती है।निश्चय ही यह आजीवन सत्य नहीं,
फिर भी यह किसी एक क्षण हर अर्धांगिनी के मन की बात है,जो या तो वह कह नही पायी,या आप सुन नहीं पाए। .. चर्चा थोड़ी लंबी है, इसलिए खंडों में है, 
#yqdidi#grihasthi#hindi#poetry