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न जाने क्यों उन्हें मेरा साथ गवारा लगने लगा। हमसे

न जाने क्यों उन्हें मेरा साथ गवारा लगने लगा।

हमसे हुए मुखातिब, तो हमारा साथ उन्हें जन्नत लगा।
हुआ है सामना मेरा आज जमाने की जिल्लत से,

हुए है वो भी रूबरू अपनी जिंदगी से हाल ही में,

आज उन्होंने जन्नत को भूल जाना ही बेहतर समझा।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
न जाने क्यों उन्हें मेरा साथ गवारा लगने लगा
हमसे हुए मुखातिब, तो हमारा साथ उन्हें जन्नत लगा,
हुआ है सामना मेरा आज जमाने की जिल्लत से,
हुए है वो भी रूबरू अपनी जिंदगी से हाल ही में,
आज उन्होंने जन्नत को भूल जाना ही बेहतर समझा
न जाने क्यों उन्हें मेरा साथ गवारा लगने लगा।

हमसे हुए मुखातिब, तो हमारा साथ उन्हें जन्नत लगा।
हुआ है सामना मेरा आज जमाने की जिल्लत से,

हुए है वो भी रूबरू अपनी जिंदगी से हाल ही में,

आज उन्होंने जन्नत को भूल जाना ही बेहतर समझा।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
न जाने क्यों उन्हें मेरा साथ गवारा लगने लगा
हमसे हुए मुखातिब, तो हमारा साथ उन्हें जन्नत लगा,
हुआ है सामना मेरा आज जमाने की जिल्लत से,
हुए है वो भी रूबरू अपनी जिंदगी से हाल ही में,
आज उन्होंने जन्नत को भूल जाना ही बेहतर समझा