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मेरी भी रंग दे चुनरिया हे मेरे श्याम संवरिया जाऊंग

मेरी भी रंग दे चुनरिया हे मेरे श्याम संवरिया
जाऊंगा ना मैं दर से,जबतक ना रंग दे चुनरिया।
लाल गुलाबी नीला पीला,सब फीका पड़ जाए,
देख लिया सब रंग में रंग के,पर कोई ना भाए।
इस माया के रंग में हो गई, देखो ना मैली चुनरिया।
मेरी भी रंग दे....।
तेरा रंग है सबसे प्यारा,कभी चमक ना जाए,
एक बार जो ये चढ़ जाए,कभी उतर ना पाए।
अपने ही रंग में रंग दो, हे प्यारे मोर चुनरिया।
मेरी भी रंग दे.....।

©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
  # मेरी भी रंग दे चुनरिया।

# मेरी भी रंग दे चुनरिया। #कविता

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