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कुछ तो है जो अंदर ही अंदर मुझे खाये जा रहा है तू

कुछ तो है जो अंदर ही अंदर मुझे खाये जा रहा है 
तू तो छोड़ गया कबका फ़िर कौन सताये जा रहा है
मंदिरों, मस्जिदों के चक्कर काट-काट के थक गया हूँ
ये कौन सा साया लिपट गया है आकर जो छोड़े नहीं जा रहा है

©Kammal Kaant Joshii #alone #Shayar #Shayari #2liners #feelings #thought #alone
कुछ तो है जो अंदर ही अंदर मुझे खाये जा रहा है 
तू तो छोड़ गया कबका फ़िर कौन सताये जा रहा है
मंदिरों, मस्जिदों के चक्कर काट-काट के थक गया हूँ
ये कौन सा साया लिपट गया है आकर जो छोड़े नहीं जा रहा है

©Kammal Kaant Joshii #alone #Shayar #Shayari #2liners #feelings #thought #alone