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उगता सूरज देखूँ तो याद तुम्हारी आती है.... ढलते सू

उगता सूरज देखूँ तो याद तुम्हारी आती है....
ढलते सूरज से हर रोज पता मै तेरा पूछा करता हूँ....

याद तुम्हारी जब आती है निकल जाता हूँ तलाश मे तेरी.....
तलाश मे तेरी मै खुद को खो देता हूँ......
खुद को खोकर भी मै तुझे पाने की चाह मे रहता हूँ.....
तुझे पाने की चाह से तुम चाहत नहीं हो मेरी, तुम मोहब्बत हो मेरी....
तुम मोहब्बत हो मेरी ये मै सबसे कहता हूँ.....
सबसे कहने का तात्पर्य तुझे बदनाम करना नहीं......
बल्कि अपनी मोहब्बत का अर्थ समझाना है.....
अर्थ समझाना है, मुझे ढलते सूरज से की गयी मोहब्बत का.....
अर्थ समझाना है मुझे मेरी मोहब्बत का.....
अर्थ समझाना है सबको सच्ची मोहब्बत का......

उगता सूरज देखूँ तो याद तुम्हारी आती है....
ढलते सूरज से हर रोज पता मै तेरा पूछा करता हूँ....

©Writer Vikas Aznabi
  Dhruvam Pathak Anupriya Parul Rastogi nehadwivedi._. Kanइश्का