मुझे समझ नहीं आ रहा मुझे समझ नहीं आ रहा कैसे जीवित रहूं मैं ? पेड़ की असमय बन गई हूं एक सूखी डाली बिछड़ने वाली हूं अपने पेड़ से जैसे आ गया हो पतझड़ जीवन में मेरे जो हवा कभी सुकून देती थी वो हवा आज बिखर जाने पर विवश कर रही है कैसे जीवित रहूं मैं ?