प्रेम रूप अनूप है , अनंत है इसके नाम। प्रीत कहो या प्रेम कहो, स्नेह कहो या अनुराग मीरा कहो,या रुक्मणी, राधा कहो या श्याम, प्रेम से कौन बच पाया है , चाहे हो सीता राम । कोई प्रेम को रत्न कहे, कोई राख का ढेर, कोई इसे हृदय कहे, कोई ऊँच-नीच का फेर। प्रेम अविरल मदमस्त है, कहाँ है इस पर रोक, प्रेम तो बाँधे ना बँधे , अब जैसी जिसकी सोच। 🤷♀️ ©Pooja Sharma #Pwardor #Kalamkaarlove #Pwians #Profoundwriters #Long_live_pw