बेचारी मनुष्यता बड़ी दरिद्र है जिसे हंसी क़े प्रशिक्षण की जरूरत है वह दूरभाग्य का दिन होगा ज़ब पक्षी पूछने लगेंगे क़ि गीत कैसे गायें पहले ट्रेनिंग. तो दीजिये तब हम चहचहाएंगे मोर कहेंगे आदलों बादलों से हमें क्या मतलब घिरने दो घटाओं को..... ज़ब तक प्रशिक्षण न मिलेगा हम पँख नहीं फैलाएंगे मगर जैसे ही मेघ उमड़ते हैँ क़ि मोर नाच उठते हैँ जबकि न मोरों क़े स्कूल है न कोई नृत्य शिक्षणकेंद्र हैँ ...... न पशुपक्षियों की कोई पाठशाला है.... न ही कही फूलों को खिलाने वाली संस्थाएं हैँ. सिर्फ मनुष्य को ही हर चीज सिखाने की जरूरत है क़ि कब और कैसे हँसा जाय कब और कैसे रोयाजाय ©Parasram Arora प्रशिक्षण.......