ऐ मुहब्बत हम तेरे काबिल न हुये, जिनकी आरज़ू की वो हमें हासिल न हुये! आब-ए-तल्ख़ पी गये ख़ामोशी से, उनको लगा कि हम बिस्मिल न हुये! ज़ख्म ऐसा दिया चुपके से उसने, क़त्ल कर के भी वो कातिल न हुये! कुसूर हमारा था गिला उनसे क्या करें, परखने में किसी को हम ही फ़ाज़िल न हुये! #nojoto #nojotopoetry #nojotohindiurdu #ghazal #muhabbat #haseel #dard